May 9, 2024

What is Solar Panel Which Solar Panel to Buy in 2023

SOLAR PANEL कैसे काम करता है? ये कितने प्रकार के होते हैं?

अपने घर में सोलर लगाने के कई फायदे हैं। जब भी आप Solar panel लगवाने के बारे में सोचते हैं, तो आप आमतौर पर उसमे लगने वाली लागत और प्राप्त होने वाली ऊर्जा दक्षता जैसे कारकों पर विचार करते हैं। हालांकि ये महत्वपूर्ण कारक हैं, लेकिन फिर भी सौर पैनलों में एक कारक और है जो इन तीनों को प्रभावित करेगा, आपके द्वारा चुने गए सौर पैनलों के प्रकार।

दोस्तों जब भी बिजली बिल आता है तो उसको देखकर हमारा घर का बजट खराब हो जाता है क्या कोर्इ ऐसा उपाय है जिससे बिजली का बिल बहुत कम आये । इसको सोचते ही दिमाग में सोलर पैनल शब्द घुमने लगता है ।

आज हम इस लेख में यह चर्चा करगें कि Solar Panel क्या है ? Solar Panel कैसे काम करता है ?

Solar Panel क्या है ?

यह एक ऐसा उपकरण है जो सूर्य से आने वाली किरणों को अवशोशित करके उन्हें उष्मा या बिजली में बदलने का कार्य करता है। अर्थात सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है। Solar Panel बहुत सारे Solar Cell

से मिलकर बना होता है यह Solar Power को विज्ञान में फोटोन्स कहते हैं Solar Cell इन फोटोन्स को इलेक्ट्रिक ऊर्जा में बदल देता है। Solar Cell से मिली इलेक्ट्रिक ऊर्जा को solar inverter के द्वारा घरेलू उपकरणों को चलने में किया जाता है, तथा बैटरी में संचित करके रख सकते है।

 

सोलर पैनल का इतिहास (History Of Solar Panel )

1839 में, एडमंड बेकरेल नाम के एक फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी ने फोटोवोल्टिक प्रभाव की खोज की। उन्होंने धातु इलेक्ट्रोड का एक सेल बनाया और पाया कि अगर यह सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आता है तो सेल अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है।

फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी एडमंड बेकरेल ने 1839 में फोटोवोल्टिक प्रभाव की खोज की उन्होने धातु इलेक्ट्रो का एक सेल बनाय जिसमें उन्होने पाया कि अगर वह सूर्य के प्रकाश के सम्पर्क में आता है सेल अधिक उर्जा उत्पन्न करता हे।

1873 में, विलोबी स्मिथ ने पाया कि सेलेनियम को फोटोकॉन्डक्टर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। फिर 1883 में, चार्ल्स फ्रिट्स ने सेलेनियम से पहली सौर कोशिकाओं( Solar cells ) का निर्माण किया, जिसे स्मिथ की खोज की ड्राइंग से बनाया गया था।

ये Solar Cell वैसे ही हैं जैसे आज हम इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब हम इन्हें सेलेनियम के बजाय सिलिकॉन से बनाते हैं। 1954 में, डेरिल चैपिन, केल्विन फुलर और गेराल्ड पियर्सन ने बेल लैब्स में पहला सिलिकॉन सौर सेल बनाया। इन सभी नवाचारों (innovations) ने मिलकर सौर पैनलों के विकास में योगदान दिया है।

सोलर पैनल कैसे काम करता है? (Working Of Solar Panel)

 

Solar Panel कैसा कार्य करता है यह जानने से पूर्व हमें यह ज्ञात करना होगा कि Solar Panel को निर्माण करने के Solar Cells को मिलाकर किया जाता है यह हमने आपको उपरोक्त लेख में बताया है हमने आपको यह बताय कि Solar Cell सिलिकॉन धातु के बनाये जाते है जो एक Semiconductor होता है। Semiconductor के अंतिम कक्ष में 4 इलेक्ट्रान होते है । तो जब सिलिकॉन में कोई ऐसा पदार्थ मिलाया जाता है जिसके अंतिम कक्ष में 5 इलेक्ट्रान हो तो यह एक N-type ( ऋणात्मक प्रकार ) का अर्धचालक कहलाता है। और जब सिलिकॉन में कोई ऐसा पदार्थ मिलाया जाता है जिसके अंतिम कक्ष में 3 इलेक्ट्रान हो तो यह एक P-type ( धनात्मक प्रकार ) का अर्धचालक कहलाता है।

सोलर सेल बनाते समय हम इन दोनों अर्धचालको (N-type, P-type) को आपस में जोड़ देते है जिससे एक धनात्मक व एक ऋणात्मक परत हमे प्राप्त होती है, और इन दोनों परतो के बीच एक फोटो-वोल्टिक जंकशन बनाया जाता है।  इस तरह से सोलर सेल का निर्माण होता है।

 

 

 

 

 

 

Working Of Solar Panel

Solar Panel  अत्यन्त सूक्ष्म फोटोवोल्टिक सेल से बने होते है फोटोवोल्टिक का मतलब होता है सूर्य से आने वाले प्रकाश को बिजली में बदल देते है। यह Cell अर्धचालक पदार्थ से मिलकर बने होते हैं जिसमें सबसे अधिक सिलिकॉन के एक एसा पदार्थ जो विधुत क्षैत्र बनाने के लिए आवश्यक Electric Voltage को बनाये रखते हुए बिजली को निरन्तर संचालित करता है।

जब सूर्य के Solar Power सोलर सेल में उपस्थित Semiconductor  से टकराता है तो Solar Power से ऊर्जा , फोटॉन के रूप में , अवशोषित हो जाती है इस अवशोषित ऊर्जा से उस अर्धचालक पदार्थ के कई सारे इलेक्ट्रॉन्स मुक्त (Free) हो जाते है , जो  सेल में स्वतंत्र रूप से घुमते है।

सोलर इन्वर्टर क्या है ? (What Is Solar Inverter)

यह एक प्रकार से Electrical Converter है जो Solar Panel  से मिलने वाली फोटोवोल्टिक दिष्ट धारा  (DC current) को प्रत्यावर्ती धारा (AC current) में बदल देता है।  इसे Solar Inverter  या PV Inverter भी कहा जाता है । इसके द्वारा उत्पन्न Power को हम अपने घर के विभिन्न प्रकार के उपकरण जैसे टीवी, पंखा, बल्ब आदि चलाने में प्रयोग कर सकते हैं।

 

 

Solar Panel कितने प्रकार के होते हैं ?

बनावट के आधार पर solar panel  तीन अलग-अलग प्रकार के हैं, और प्रत्येक के अपने फायदे और नुकसान हैं। कौन सा सोलर पैनल आपको लेना चाहिए ये इस बात पर निर्भर करेगा की आपकी क्या जरूरत है, इस लेख में हम आपको तीनो प्रकार के सौर पेनलो के बारे में बताएंगे तथा उनके कुछ फायदे और नुकसान भी।

आकार के आधार पर   Solar Panel  तीन प्रकार के होते हैं । और प्रत्येक के अपने – अपने लाभ व हानियाँ है । अगर आप किसी सोलर पैनल को खरीदने के इच्छुक है, आप को कोनसा सोलर पैनल लेना चाहिए ये इस बात पर निर्भर करेगा की आपको कितने विघुत की जरूरत है , इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको तीनो प्रकार के सौर पेनलो के बारे मे बताएगें तथा आपको ये जानना आवष्यक है , की इनके क्या – क्या फायदे व नुकसान है ।

 

 

सौर पैनल के 3 प्रकार क्या हैं ?

  • सौर पैनल मोनोक्रिस्टलाइन( Monocrystalline )
  • पॉलीक्रिस्टलाइन ( polycrystalline )
  • थिन -फिल्म पैनल ( thin-film solar panels )

 

मोनोक्रिस्टलीने सोलर पेनल्स (Monocrystalline Solar Panels )

ये Solar Panel  सबसे पुराने और सबसे विकसित है इसमें लगभग 40 मोनोक्रिस्टलाइन Solar Cells के इस्तेमाल से बने होते है। Monocrystalline Solar Panels शुद्ध सिलिकॉन से बने होते है। इनका निर्माण Czochralski विधि द्वारा किया जाता है। इसमें एक सिलिकॉन क्रिस्टल को पिघले हुए सिलिकॉन के एक वात में रखा जाता है। फिर क्रिस्टल को वात से बहुत धीरे-धीरे बाहर निकाला जाता है, जिससे पिघला हुआ सिलिकॉन इसके चारों ओर एक ठोस क्रिस्टल खोल बनाने की अनुमति देता है जिसे एक पिंड कहा जाता है। फिर पिंड को सिलिकॉन वेफर्स में पतला काट दिया जाता है। वेफर को सेल में बनाया जाता है, और फिर सेल को एक साथ मिलकर सोलर पैनल बनाया जाता है।

सूर्य का प्रकाश शुद्ध सिलिकॉन के साथ सीधे संपर्क करता है जिससे मोनोक्रिस्टलाइन सौर सेल काले दिखाई देते हैं । जबकि सेल काले हैं, लेकिन फिर भी बैक शीट और फ्रेम के लिए कई प्रकार के रंग और डिज़ाइन उपलब्ध होते हैं। मोनोक्रिस्टलाइन कोशिकाओं को एक वर्ग की तरह आकार दिया जाता है जिसमें कोनों को हटा दिया जाता है, इसलिए सेल के बीच छोटे अंतराल होते हैं।

 

पोलीक्रिस्टलीने सोलर पेनल्स  (Polycrystalline Solar Panels)

पॉलीक्रिस्टलाइन सौर पैनल विभिन्न प्रकार के सौर पैनलों में एक नया विकास हैं, लेकिन वे लोकप्रियता और दक्षता के मामले में  तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनलों की तरह, पॉलीक्रिस्टलाइन सेल सिलिकॉन से बने होते हैं। लेकिन पॉलीक्रिस्टलाइन कोशिकाएं एक साथ पिघले हुए सिलिकॉन क्रिस्टल के टुकड़ों से बनती हैं। निर्माण प्रक्रिया के दौरान, सिलिकॉन क्रिस्टल को पिघले हुए सिलिकॉन के एक वात में रखा जाता है। इसे धीरे-धीरे बाहर निकालने के बजाय, इस क्रिस्टल को टुकड़े करने और फिर ठंडा होने दिया जाता है। फिर एक बार जब नए क्रिस्टल को उसके सांचे में ठंडा किया जाता है, तो खंडित सिलिकॉन को पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर वेफर्स में पतला काट दिया जाता है। पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल बनाने के लिए इन वेफर्स को एक साथ इकट्ठा किया जाता है।

 

क्रिस्टल पर सूर्य के प्रकाश के परावर्तन के तरीके के कारण पॉलीक्रिस्टलाइन कोशिकाएं नीले रंग की होती हैं। शुद्ध सिलिकॉन सेल की तुलना में सूरज की रोशनी सिलिकॉन के टुकड़ों से अलग तरह से परावर्तित होती है। आमतौर पर, बैक फ्रेम और फ्रेम पॉलीक्रिस्टलाइन के साथ सिल्वर होते हैं, लेकिन इसमें भिन्नताएं हो सकती हैं। कोशिका का आकार वर्गाकार होता है, और सेल के कोनों के बीच कोई अंतराल नहीं होता है।

 

थिन -फिल्म सोलर पेनल्स  (Thin-Film Solar Panels)

सौर पैनल उद्योग में पतली फिल्म सौर पैनल एक अत्यंत नया विकास है। पतले फिल्म पैनल की सबसे विशिष्ट विशेषता यह है कि वे हमेशा सिलिकॉन से नहीं बने होते हैं। उन्हें कैडमियम टेलुराइड (CdTe), अनाकार सिलिकॉन (a-Si), और कॉपर इंडियम गैलियम सेलेनाइड (CIGS) सहित विभिन्न सामग्रियों से बनाया जा सकता है। इन सौर कोशिकाओं को सुरक्षा के लिए शीर्ष पर कांच की एक परत के साथ प्रवाहकीय सामग्री की पतली चादरों के बीच मुख्य सामग्री रखकर बनाया जाता है। a-Si पैनल सिलिकॉन का उपयोग करते हैं, लेकिन वे गैर-क्रिस्टलीय सिलिकॉन का उपयोग करते हैं और इनके ऊपर कांच की एक परत होती हैं।

 

जैसा कि उनके नाम से पता चलता है, पतले-पतले पैनल को उनकी पतली उपस्थिति से पहचानना आसान होता है। ये पैनल सिलिकॉन वेफर्स का उपयोग करने वाले पैनल की तुलना में लगभग 350 गुना पतले हैं। लेकिन पतली फिल्म के फ्रेम कभी-कभी बड़े हो सकते हैं, और यह पूरे सौर मंडल की उपस्थिति को एक मोनोक्रिस्टलाइन या पॉलीक्रिस्टलाइन सिस्टम के तुलनीय बना सकता है। पतली-फिल्म कोशिकाएं काली या नीली हो सकती हैं, यह उस सामग्री पर निर्भर करता है जिससे वे बने हो।

 

 

अपने घर में सोलर पैनल किस तरह की लगाएं (Solar Panel Installation )

आपने सभी Solar Panel के बारे में जानकारी प्राप्त कर चुके अब आप पर निर्भर करता है कि कौनसा Sola Panel  लगवाना है कि आपके घर के हिसाब से Solar Panel लगवा सकते है वैसे Solar Panel Price की बात करें तो यह 10000 से 20000 तथा एक लाख से दस लाख तक आते है। जिससे आप बहुत बड़े कार्य जैसे खेत पर ट्यूबवेल भी चला सकते है। यहां तक कि बड़ी बड़ी फैक्ट्री में भी काम में ले सकते हैं।

एक बात का ध्यान रखें कि Solar Panel लगवाने से पूर्व इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी हासिल करें क्योंकि भारत सरकार द्वारा Solar Panel में बहुत तरह की सब्सिडी भी दी जाती है। जिससे कि आपको Solar Panel Price में बहुत कमी आ जाती है।

 

सोलर पैनल के फायदे (Advantages of Solar Panel)

1- आपने देखा होगा कि वर्षा में , आँधी तुफान में अधिकतर बिजली चली जाती है अगर आप Solar Panel   लगा देते है तो हर समय आपके घर में बिजली रहेगी आपको किसी भी तरह की दूसरी बिजली की जरूरत नहीं होगी।

2.यदि आप खेत में रहते है जहां पर बिजली के किसी तरह के साधन नहीं है तो आप Solar Panel का प्रयोग कर सकते है। आप जितनी चाहे बिजली का प्रयोग कर लेवे किसी तहर का खर्चा नहीं आयेगा।

3- एक बार सोलर पैनल लगवाने से आप को हर महीने के बिजली बिल से भी छुटकारा मिल जाएगा.

 

 

में आशा करता हूँ की इस लेख में आपको Solar penal क्या होता है? solar penal कैसे काम करते है? तथा solar penal कितने प्रकार के होते हैं? किस प्रकार का best solar panels  होता हैं? इन सभी सवालो के जवाब मिल गए होंगे। अगर आपको ये लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले।